Saurabh Patel

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लेखनी कविता# प्रतियोगिता हेतु-10-Aug-2022 शहर की झूठी शोहरत


गांव के लोगो के लिए सड़क बस एक बहाना है
दरअसल शहर वालों को शहर अच्छे से फैलाना है

हम तो शहर में रहकर भी शहर के नहीं हुए 
क्यूंकि हमे मालूम है मुसीबत में गांव ही जाना है

ये रात रात भर रोशनी में डूबी सड़के किस लिए
कहीं ऐसा तो नहीं कि गांव को नीचा दिखाना है

सर पे पगड़ी घूंघट में चेहरा और आंगन में तुलसी
ऐसे माहोल में चिड़ियों को हर सुबह चहकना है

पेड़ काटकर ऊंची ऊंची इमारतें खड़ी कर दी "सौरभ"
फिर कहते है हमें बारिश में नाचते हुए मोर को देखना है।

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8 Comments

बहुत ही सुंदर

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Saurabh Patel

11-Aug-2022 02:29 PM

जी बहुत शुक्रिया आपका

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Nancy

10-Aug-2022 06:29 PM

Nice

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Saurabh Patel

10-Aug-2022 06:56 PM

Thanks

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Raziya bano

10-Aug-2022 05:11 PM

बहुत खूब लिखा आपने

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Saurabh Patel

10-Aug-2022 06:08 PM

जी बहुत शुक्रिया आपका

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